दोस्तों कंप्यूटर की पीढ़ियां (Generation Of Computer in Hindi):- आज के युग में लगभग हम सभी कार्यो में कंप्यूटर का ही इस्तेमाल करते है लेकिन यह कम ही लोगो को पता है की कंप्यूटर का जन्म आज ही अचानक नहीं हुआ है इसका इतिहास बहुत ही पुराना है दूसरे विश्व युद्ध के बाद कंप्यूटरों का विकास बहुत तेजी से हुआ और उनके आकार-प्रकार में भी बहुत परिवर्तन हुए। आधुनिक कंप्यूटरों के विकास के इतिहास को तकनीकी विकास के अनुसार कई भागों में बांटा जाता है, जिन्हें कंप्यूटर की पीढ़ियां (Generation Of Computer in Hindi) कहा जाता है। अभी तक कंप्यूटरों की 5 पीढ़ियां अस्तित्व में आ चुकी हैं।
जिस तरह मनुष्य की विभिन्न पीढ़ियां अपने रहन-सहन, आचार-विचार तथा परंपराओं में एक-दूसरे से अलग-अलग होती हैं उसी प्रकार विभिन्न पीढ़ियों के कंप्यूटर तकनीकी दृष्टि से भिन्न-भिन्न होते हैं। प्रत्येक पीढ़ी के कंप्यूटरों की विशेषताएं और उनका संक्षिप्त परिचय नीचे दिया गया हैं-
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर (Generation Of Computer 1st)
इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूबों (Vacuum Tubes) का प्रयोग किया जाता था। इस पीढ़ी का समय मोटे तौर पर 1946 से 1955 तक माना जाता था। उस समय वैक्यूम ट्यूब ही एकमात्र इलैक्ट्रॉनिक पुर्जा था जो उपलब्ध होता था। इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े होते थे और इतनी गर्मी पैदा करते थे कि एयर कंडीशनिंग अनिवार्य होती थी। ये गति में धीमे होते थे और इनका मूल्य भी तुलनात्मक दृष्टि से बहुत अधिक होता था। इनमें कोई ऑपरेटिंग सिस्टम न होने के कारण आवश्यकता पड़ने पर विभिन्न उपकरणों को जोड़ने या घटाने तथा स्विच आदि दबाने का कार्य उपयोगकर्ता को स्वयं ही करना पड़ता था, जो बहुत असुविधाजनक होता था।
इस पीढ़ी के कुछ प्रमुख कंप्यूटरों के नाम इस प्रकार हैं-
एनिएक, एडसैक, एडजवैक, यूनिवैक-1, यूनिवैक-2, आई. बी. एम. -701, आई. बी. एम.-650, मार्क-2, मार्क-3, बरोज-2202.
पहला इलैक्ट्रॉनिक कंप्यूटर- एनिएक (ENIAC):- एनिएक (Electronic Numerical Integrator And Calculator) को पहला इलैक्ट्रॉनिक कंप्यूटर माना जाता है। इसका निर्माण अमेरिका के पैहनसिल्वानिया विश्वविद्यालय ने सन् 1946 में किया गया था। इससे पहले की मशीनों की तुलना में काफी तेज था और एक सेकंड में 5000 योग या 300 गुणा करने की क्रियाएं कर सकता था। इसमें 18 हजार वेक्यूम ट्यूबे, 70 हजार प्रतिरोधक (Resistor), 10 हजार कैपेसिटर तथा 60 हजार स्विचों का उपयोग किया गया था। यह दो बड़े कमरों के बराबर स्थान घेरता था और इसका वजन 27 टन था।
यह कंप्यूटर कम, कैलकुलेटर अधिक था और इसकी गति मनुष्य से 300 गुना तेज थी। यह दाशमिक संख्या प्रणाली (Decimal Number System) पर कार्य करता था। 1945 में जान फान न्यूमैन (John Von Neumann) नामक महान् गणितज्ञ एनिएक के समूह में शामिल हुआ था और उसके कंप्यूटरों में बाइनरी संख्या पद्धति को अपनाने तथा प्रोग्राम स्टोर करने का सुझाव दिया था। इसलिए बाद के सभी कंप्यूटर बाइनरी संख्या पद्धति में कार्य करने वाले थे।
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प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर के लाभ (Advantage of First Generation Computer)
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर के लाभ निम्नलिखित हैं-
(1)- वैक्यूम ट्यूब ही उस समय उपलब्ध था जिसका एक इलेक्ट्रॉनिक घटक के रूप में प्रयोग किया गया।
(2)- वैक्यूम ट्यूब टेक्नोलॉजी के द्वारा डिजिटल कंप्यूटरों का आगमन संभव हो गया।
(3)- यह कंप्यूटर अपने समय के सर्वाधिक तेज गणना उपकरण थे। यह मिली सेकंड में गणना कर सकते थे।
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर के दोष (Disadvantage of First Generation Computer)
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर के दोष निम्नलिखित हैं-
(1)- आकार में बहुत बड़ा एवं भारी।
(2)- अविश्वसनीय।
(3)- हजारों वैक्यूम ट्यूब के प्रयोग से अत्यधिक माश्रा में गर्मी उत्पन्न करता था इसीलिए बार-बार जल जाता था।
(4)- इसके लिए वातानुकूलन की आवश्यकता थी।
(5)- यह कहीं दूसरे स्थान पर ले जाने योग्य नहीं होते थे।
(6)- इनका वाणिज्यिक उत्पादन जटिल एवं कीमती था।
(7)- इसका वाणिज्यिक प्रयोग सीमित था।
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Generation Of Computer 2nd)
इस पीढ़ी के कंप्यूटरों का समय सन् 1955 से 1965 तक माना जाता है। इससे पहले ही अमेरिका की बैल लैबोरेटरी (Bell Labs) ले ट्रांजिस्टर (Transistor) की खोज कर ली थी, जो वैक्यूम ट्यूब की तुलना में हर तरह से बेहतर होता है। इसलिए कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूबों का उपयोग समाप्त हो गया और ट्रांजिस्टर का उपयोग होने लगा। इससे कंप्यूटरों की दूसरी पीढ़ी अस्तित्व में आयी। इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में छोटे, गति में तेज तथा अधिक विश्वासनीय होते थे और उनकी लागत भी कम होती थी। ये बहुत कम गर्मी उत्पन्न करते थे, लेकिन एयर कंडीशनिंग की आवश्यकता फिर भी रहती थी।
इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में निवेश (Input) तथा निर्गम (Output) के उपकरण बहुत सुविधाजनक होते थे, जिससे इसमें डाटा स्टोर करना तथा परिणाम प्राप्त करना सरल था। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में आईबीएम- 1401 प्रमुख है, जो बहुत लोकप्रिय था और बड़े पैमाने पर उत्पादित किया गया था। इस पीढ़ी के अन्य प्रमुख कंप्यूटर थे- आईबीएम-1620, आईबीएम-7094, सीडीएम-1604, सीडीएम-3600, आर सीए-501, यूनीवैक-1107 आदि। इन कंप्यूटरों का उपयोग मुख्य रूप से वैज्ञानिक कार्यों में किया जाता था, लेकिन बाद में व्यापारिक कार्यों में भी किया जाने लगा।
1947 में लैबोरेटीज के अंतर्गत ट्रांजिस्टर का आविष्कार किया गया तथा 1950 के दशक के अंत में उसने इलेक्ट्रॉनिक क्रांति प्रारंभ की। 1950 के दशक के अंत में दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर ने ले ली जो सस्ता, हल्का तथा कम गर्मी उत्सर्जित करता था एवं मेमोरी (IBM 1401 Honey Well 800) के लिए मैग्नेटिक कोर का निर्माण होने लगा इससे कंप्यूटर का आकार छोटा हो गया और विश्वसनीयता में वृद्धि हो गई। दूसरी पीढ़ी का कंप्यूटर जटिल अंकगणित एवं तार्किक समस्याओं का हल प्रस्तुत करने में सक्षम हुआ।
द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर के लाभ (Advantage of Second Generation Computer)
द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर के लाभ निम्नलिखित हैं-
(1)- पहली पीढ़ी के कंप्यूटर की अपेक्षा आकार में छोटा था।
(2)- अत्याधिक विश्वसनीय था।
(3)- कम गर्मी उत्पन्न करता था।
(4)- ये कंप्यूटर मिली सेकंड से माइक्रो सेकंड में गणना करने लगे।
(5)- हार्डवेयर विफलताओं की आशंका कम हो गयी।
(6)- कहीं भी ले जाने योग्य था।
(7)- व्यापक व्यवसायिक प्रयोग के योग्य था।
द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर के दोष (Disadvantage of Second Generation Computer)
द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर के दोष निम्नलिखित हैं-
(1)- वातानुकूलन की आवश्यकता थी।
(2)- अधिकारी रख-रखाव की आवश्यकता होती है।
(3)- व्यक्तिगत घटक एक कार्य इकाई के रूप में भिन्न-भन्न थे।
(4)- वाणिज्यिक उत्पादन कठिन तथा कीमती।
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Generation of Computer in Hindi 3rd)
इस पीढ़ी के कंप्यूटरों का समय सन् 1965 से 1975 तक माना जाता है। इसमें एकीकृत परिपथों (Integrated Circuits) या चिप (Chip) का उपयोग किया जाता था, जो आकार में बहुत छोटे होते थे और एक चिप पर सेकंडों ट्रांजिस्टरों को एकीकृत किया जा सकता था। इससे बने कंप्यूटर आकार में छोटे, गति में बहुत तेज तथा विश्वसनीयता में बहुत अधिक होते थे। इनके कार्य करने की गति इतनी तेज थी कि ये एक सेकंड के समय में लाखों बार जोड़ने की क्रियाएं कर सकते थे।
इस पीढ़ी के कंप्यूटरों के साथ ही डाटा को भंडारित करने वाले भारी साधनों जैसे डिस्क, टेप आदि का भी विकास हुआ, जिससे कंप्यूटर की मुख्य मैमोरी पर पड़ने वाले दबाव कम हो गया और उनके लिए प्रोग्राम लिखना सरल हो गया। इसके कारण एक ही कंप्यूटर पर एक साथ अनेक प्रोग्राम चलाना (Multiprogramming) तथा एक प्रोग्राम को कई कंप्यूटरों पर एक साथ चलाना (Multiprocessing) भी संभव हो गया।
इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में छोटे होने के साथ-साथ सस्ते भी थे, जिसके कारण छोटी कंपनियों तथा सरकारी कार्यों में भी कंप्यूटर लगना संभव हुआ। इस पीढ़ी के मुख्य कंप्यूटर थे- आईबीएम-360 तथा 370 श्रृंखलाएं, आईसीएल-1900 तथा 2900 श्रृंखलाएं, बरोज-5700,6700 तथा 7700 श्रृंखलाएं, सीडीसी-3000,6000 तथा 7000 श्रृंखलाएं, यूनीवैक-9000 श्रृंखलाएं, हनीवैल-6000 तथा 200 श्रृंखलाएं, पीडीपी-11/45 आदि।
इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में छोटे गति में बहुत तेज तथा विश्वासनीयता में बहुत अधिक मानकीकृत होते थे। इस पीढ़ी के कंप्यूटर में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट (Integratd Circuit-IC) का प्रयोग किया गया। यह सैकंडों कंपोनेंट का कार्य स्वयं कर सकती थी। इन Computers में न तो अधिक तारों के गुच्छे होते थे और न ही हजारों स्विच।
इस पीढ़ी के कंप्यूटर के अंतर्गत हाई लेबर लैंग्वेज; जैसे- फोर्ट्रान आदि का प्रयोग किया जाने लगा। इस पीढ़ी के प्रमुख कंप्यूटर हैं- I.B.M.-360, I.B.M.-370, I.C.L.-2903, C.P.C.-1700, P,O.P.-11/45 हैं।
तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर के लाभ (Advantage of Third Generation Computer)
तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर के लाभ निम्नलिखित हैं-
(1)- पिछली पीढ़ियों के कंप्यूटर की अपेक्षा आकार में छोटा था।
(2)- पहले की पीढ़ियों से अधिक विश्वसनीय था।
(3)- कम गर्मी पैदा करने वाला था।
(4)- रख-रखाव की लागत में कमी आई।
(5)- कम ईंधन (बिजली) की खपत संभव हुई।
तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर के दोष (Disadvantage of Third Generation Computer)
तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर के दोष निम्न हैं-
(1)- अनेक स्थिति में इसे वातानुकूलित की आवश्यकता होती थी।
(2)- आई.सी.चिप्स के निर्माण हेतु अत्याधिक परिष्कृत तकनीक की आवश्यकता पड़ी।
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर (Generation Of Computer 4th)
इस पीढ़ी के कंप्यूटरों का समय 1975 से 1990 तक माना जाता है, हालांकि आजकल भी इसका उपयोग किया जा रहा है। इनमें केवल एक सिलिकोन चिप पर कंप्यूटर के सभी एकीकृत परिपथों को समाया गया है, जिसे माइक्रो प्रोसेसर (Micro Processor) कहा जाता है। वास्तव में ये अति वृहद् एकीकृत परिपथ (Very Large Scale Integrated Circuits) या VLCI) हैं, जिनमें एक माइक्रो चिप पर हजारों-लाखों ट्रांजिस्टर को जमा दिया जाता है। इन चीपों का उपयोग करने वाले कंप्यूटरों को माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) कहा जाता है।
यह कंप्यूटर आकार में बहुत छोटे होते थे, जो एक मेज पर भी आ जाते हैं। इनमें बिजली की खपत बहुत कम होती है तथा सामान्य तापक्रम पर भी कार्य करने में समर्थ होते हैं। इनका मूल्य भी इतना कम होता है कि छोटे दुकानदार भी इन्हें खरीद सकते हैं। छोटे-छोटे कंप्यूटरों की एक ऐसी श्रेणी भी अस्तित्व में आ गयी है जिन्हें व्यक्तिगत कंप्यूटरों (Personal Computer) या पीसी (PC) कहा जाता है। इन पर कार्य करना बहुत ही सरल और बहुत कम खर्चीला है।
माइक्रो कंप्यूटर बनाने वाली कंपनियों की एक बड़ी संख्या है, जो विभिन्न श्रेणियों के पर्सनल कंप्यूटर, जैसे पीसी, पीसी-एक्सटी, पीसी-एटी आदि बनाती हैं, ऐसी कुछ कंपनियों के नाम हैं- आई.बी.एम., एप्पल, एच.सी.एल., नेल्को, आई, सी.एल., आई.सी.आई.एम आदि।
इस पीढ़ी के Computers का समय 1975 से 1990 तक माना जाता है। इस समय कंप्यूटरों को बनाने में चिप का प्रयोग होने लगा जिसके चलते छोटे प्रोसेसर्स (Micro Processor) और निजी कंप्यूटर (Personal Computer, P.C.) अस्तित्व में आए।
आज के कंप्यूटरों में डिस्ट्रीब्यूटेड प्रोसेसिंग और ऑफिस ऑटोमेशन (ई.डी.ए.) की शुरुआत हुई। इस समय के प्रमुख कंप्यूटर थे- Commoder-PET, D.M.C.-TANDY, Z.X. SPECTRUM, I.B.M.-PC आदि।
चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर के लाभ (Advantage of Fourth Generation Computer)
चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर के लाभ निम्नलिखित हैं-
(1)- उच्च घटक धनत्व (High Component Density) के कारण आकार में छोटा था।
(2)- अत्याधिक विश्वसनीय था।
(3)- ऊष्मा का उत्सर्जन बहुत काम करता था।
(4)- प्रिय: वातानुकूलन की आवश्यकता नहीं होती थी।
(5)- न्यूनतम रख-रखाव की आवश्यकता के साथ सस्ता भी था।
(6)- आसानी से कहीं भी ले जाने योग्य (Portable) था।
चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर के दोष (Disadvantage of Fourth Generation Computer)
चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर के दोष निम्नलिखित हैं-
(1)- चिप्स के निर्माण हेतु अत्याधिक परिष्कृत तकनीक की आवश्यकता हुई।
(2)- जटिल सॉफ्टवेयर का प्रयोग होता था।
पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर (Generation of Computer 5th)-
सन् 1990 के बाद के समय में ऐसे कंप्यूटरों के निर्माण का प्रयास चल रहा है, जिनमें कंप्यूटिंग की ऊंची क्षमताओं के साथ-साथ तर्क (Logic) करने, निर्णय लेने तथा सोचने (Thinking) की भी सामर्थ्य हो। इनको पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर कहा जा रहा है। अभी तक के सभी कंप्यूटरों का प्रमुख जोर डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) पर रहा है, जबकि इस पीढ़ी के कंप्यूटरों का जोर ज्ञान प्रोसेसिंग (Knowledge Processing) पर होगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये कंप्यूटर बहुत हद तक मानव मस्तिष्क जैसे होंग।
हालांकि अभी तक ये कंप्यूटर बनाने में सफलता नहीं मिली है, परंतु कुछ ऐसे कंप्यूटर अस्तित्व में आ गये हैं, जिनमें चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में अति क्षमताएं हैं। इन्हें सुपर कंप्यूटर (Super Computer) कहा जाता है। ये एक साथ सैकंडों कंप्यूटरों के बराबर कार्य अकेले ही कर लेते हैं। इनका उपयोग जटिल वैज्ञानिक गणनाओं ने किया जाता है। भारत में भी (परम) नाम का एक पूर्णतः स्वदेशी सुपर कंप्यूटर बनाया गया है।
इनके अलावा पर्सनल कंप्यूटरों की एक ऐसी श्रृंखला भी अस्तित्व में आ गई है, जो गति तथा क्षमता में बड़े-बड़े कंप्यूटरों से टक्कर लेते हैं। इन्हें पेंटीअम (Pentium) कहा जाता है, क्योंकि ये इंटेल (Intel) नामक कंपनी द्वारा बनाये गये माइक्रो प्रोसेसरों की पेंटियम नामक श्रृंखला पर आधारित हैं। वर्तमान समय में इनका उपयोग और उत्पादन भारी मात्रा में किया जा रहा है।
इस पीढ़ी का आरंभ सन् 1990 से माना जाता है। आज विश्व में कंप्यूटर को और विकसित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। आज के वैज्ञानिक कृत्रिम बुद्धि के प्रयोग द्वारा कंप्यूटर को सोचने-समझने की क्षमता प्रदान करना चाहते हैं जिससे कंप्यूटर कृत्रिम बुद्धि रखने के कारण सभी कार्यों को स्वयं ही कम समय में समाप्त कर सके। इस प्रकार कंप्यूटर सिस्टम (System) के रूप में कार्य करता है।
पंचम पीढ़ी के कंप्यूटर के लाभ (Advantage of Fifth Generation Computer)
पंचम पीढ़ी के कंप्यूटर के लाभ निम्नलिखित हैं-
(1)- यह एक बहुमुखी उपकरण है जिससे विभिन्न प्रकार के कार्य किए जा सकते हैं।
(2)- यह अन्य चार पीढ़ियों के कंप्यूटर से कम लागत में तैयार किया गया।
(3)- यह अन्य पीढ़ियों की अपेक्षा गति में सबसे उच्च है।
(4)- इस कंप्यूटर में कृत्रिम बुद्धि Artificial Intelligence है।
निष्कर्ष :
हम आशा करते है कि कंप्यूटर की पीढ़िया Generation Of Computer in Hindi ,Generation Of Computer, Generation Of Computer 1st, Generation Of Computer 2nd, Generation Of Computer 3rd, Generation Of Computer 4th, ,Generation Of Computer 5th, आदि सभी प्रकार के जवाब मिल गए होंगे अगर आपका अभी भी कोई सवाल है तो हमें कमेंट करके पूछ सकते है अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करे ताकि उन्हे भी कंप्यूटर की पीढ़िया से रिलेटेड सभी सवालो के जवाब मिल जाये।